“ प्रश्न “ – (The Question )
कुछअधुरे ख़्वाब तो होगें ?
कुछ अधुरे सवाल तो होगे ?
क्या है वो पल जिसके लिये तुम
सारा ज़मीं ऑसमा ऐक कर सकते हो ,
क्या है वो पल जिसके लिये तुम
हज़ार बार मर कर भी लड़ सकते हो !
सामने आइने के पुछ लो ये प्रश्न कि
क्या कर रहे और कहॉ जा रहे हो ?
मिल गये जबाब तो नये सवाल लो ,
ख़त्म है ख़्वाब तो नये ख़्वाब लो ..।।।
ग़लतियों मे सुधार की ज़मीं तलाश लो ,
निशब्द ख़्वाब के लिये फिर नयी मशाल लो ,
मैदान मे दृढ़ संकल्प लो इस जंग का ,
नया रंग रक्त का और हृदय उंमग का ,
तप की स्याही से श्रम की लेखनी तक ,
सफल हुये हर ख़्वाब की हर कहानी तक ,
पुछते चलो बस पुछते चलो ,
हर दफ़ा उस आइने से ये प्रश्न पुछते चलो !
क्या है वो पल जिसके लिये तुम
सारा जमी ऑसमा ऐक कर सकते हो …..।
…….हज़ार बार मरकर भी लढ़ सकते हो …।।।