(काबरू और धूंटू मेरे बैलों के नाम थे……किसी व्यक्ति या समूह से इनका कोई सम्बन्ध नही है)
इतिहास की ओर चलकर देखते है जँहा ईमानदारी और वफादारी की पराकाष्ठा को “हीरा और मोती” नामक बैलों की जोड़ी से समझी जा सकती थी किन्तु जैसे जैसे समय व्यतीत होता गया , आधुनिकता के साथ-साथ मूल्य भी बदलते चले गये |
हीरा और मोती ने गुलामी के संघर्ष भरे दिनो को जीया, किन्तु सदैव अपने आदर्शों पर अडिग रहे | आजदी के बाद उनका जमाना खत्म हो गया , अब नयी पीडी़ के महत्वकाछीं “काबरू और धूँटू” का वक्त आ चुका है|
ऐसा नही की ये महानुभाव भी चाँदी की चमची के साथ आये थे इन्होने भी कठिन हालातों का सामना किया मगर आजादी के लिये तडपती हर साँसो की तुलना आज के किसी भी संघर्ष से करना बेमानी होगा | ये दोनो भारतीय भी हमारी 70% ग्रामीण जनता की तरह गॉव गदेरो से ही सम्बन्ध रखते थे | प्राथमिक शिळा के बाद दोनो शहर की ओर चल दिये और आगे की पडा़ई जारी रखी | दोनो मित्र अब युवा हो चुके थे तथा दोनो ने अपने भविष्य की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया था | सौभाग्यवश राजनीती चरम सीमा पर थी और धूँटू ने कांग्रेस का पाला पकड़ लिया किन्तु काबरू असमझ मे था कि राजनीती मे आये कि नही , अन्तत: उसने भी जनता पार्टी का दामन थाम लिया | दोनो ने “हीरा और मोती” के आदर्शो का गहन अध्ययन किया था तथा कुछ हद तक उन पर उसका चारित्रिक व दार्शनिक प्रभाव भी था|
परन्तु वक्त के साथ व्यक्तित्व और ईमान दोनो बदल जाते है, बिडम्बना है कि कल तक के “जय और वीरू” भी आज एक मुगेम्बो और शाकाल बने बैठे है | राजनीती चरम सीमा पर थी और सत्ता का सुख सिर्फ एक को ही मिल सकता था और धूँटू को वह सौभाग्य प्राप्त हुआ , काबरू असफल रहा |
धूँटू ने महान प्रेमचन्द्र की ‘नमक का दारोगा’ भी पडी़ थी और वह लोकतंत्र की लिंकन परिभाषा को भी पड़ चुका था किन्तु उसने मूल अवधारणाओ को ध्यान मे रखते हुए , यथार्थता को देखते हुये ,कम से कम समय मे अधिकतम उपभोग के मार्ग को वरीयता दी | अपनी अवधी का उसने पूर्ण उपयोग करते हुए करोड़ो की सम्पत्ती स्वीटजरलैण्ड मे जमा कर दी , इतना ही नही वह शराब व शबाब , कमसिन हसिनाओं के साथ मौज उड़ाने विभिन्न देशो की यात्रायें और खूब पार्टीयाँ भी किया करता था | वह जीवन के उच्चतम शिखर पर था और उसने एक बालीवुड सुपरमाडल “गेरटी” (गाय का नाम) से शादी कर ली | उसका जीवन सर्वोत्तम दौर से गुजर रहा था |
वँही दुसरी ओर काबरू का जीवन बदतर होता जा रहा था , वह अनशन और धरनो से दुखी हो चुका था किन्तु कोई चारा नही था | जलन तथा आत्मग्लानी से वहा मरता जा रहा था | उसकी शादी भी नही हो रही थी , यहाँ तक की उसने ‘शादी.कॉम’ पर भी विग्यापन दिया था मगर कुछ नही हो पा रहा था | उधर धूँटू के जुड़वॉ पठ्ठे पैदा हो गये और उसकी पत्नी हर दिन फेसबुक पर नये नये चित्र डालती , काबरू चिन्ता मे डूब गया, यहाँ तक कयी बार वह आत्महत्या करने की सोचता था|
धूँटू ने दोनो पठ्ठो के भी पार्टी के टैटू गुदवा दिए और उनके नाम ‘शुलिया और बाँदरू’ रख दिऐ| ताकी विरासत की जागीर को सही वारिस सही समय पर मिले | कार्यकाल पूर्ण हुआ , काबरू के लिये इस बार करो या मरो की स्थिति थी और पल भर मे ही मानो वक्त बदल गया यहाँ जनता जनार्दन ने काबरू का साथ दिया | उसका दिया नारा ” आँधी आई ,आँधी आई….अबकी बारी ,काबरू भाई” चल गया और धूँटू को मुह की खानी पड़ी , उसका घमण्ड भी चूर-चूर हो गया | काबरू भी अब सत्ता सुख लेने लग गया और स्वीटजरलैण्ड की सैर अकसर करने लग गया | वहाँ एक बार उसकी मुलाकात हालीवुड बाला “खैरी” (गाय का नाम) से हुयी , दोनो प्रेम मे पड़ गये और शादी कर ली अब पाला काबर का भारी था , उधर धूँटू भी अब जलभुन रहा था , घुट-घुट कर जी रहा था | काबरू पीछे मुडकर देखने वालों से नही था उसने वसतं विहार इलाके मे दो सौ करोड़ मूल्य का घर भी खरीद लिया था जबकी धूँटू का सौ करोड़ का था |ऐसे आलीशान बंगले नसीब वालो के पास ही होते है लेकिन इसके लिये इनके संघर्षों को नकारा नही जा सकता । कुछ महीनो बाद जश्न और भी बड गया क्योंकि काबरू के भी पठ्ठा हो गया और उसने भी सर्वप्रथम पार्टी का टैटू गुदवाया , जय जनता पार्टी | वह भी विरासत के वारिस के साथ कोई भेदभाव नही करना चाहता था | अब एक भव्य आयोजन किया गया , बॉलीवुड और हालीवुड के सितारो का जमावडा लगा था | धूँटू को भी आंमत्रित किया गया था और यह दस सालो मे पहला मौका था जब भूतकाल के जय और वीरू तथा वर्तमान के ‘ठाकुर और गब्बर’ आमने सामने थे | दोनो ने गले लगकर अभिनन्दन किया , यह अगले दिन अखबार की सुर्खियां थी |
यह सिलसिला यँ ही चलता रहा , धूँटू ने अपने पठ्ठो को ऑक्सफोर्ड भेज दिया तो काबर ने मेसाच्यूसेट | एक दिन इनका वक्त खत्म हो जाऐगा हमे इन्तजार है इन पठ्ठो के वापस आने का | इन्तजार है नयी दिशा का , नये जमाने का , देखते है वक्त कैसे करवट बदलता है |
2 replies on “काबरू और धूंटू”
बहुत शानदार ओर सरल शब्दो मै एक रोचक कहानी
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धन्यवाद मित्र
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