मेरी कहानियों में डूबा हुआ
बस बेसुध सा होना चाहता हूँ ।
छू ले जो दिल के ज़ख़्मों को
कोई वो शायर होना चाहता हूँ ।
ईश्क में इस क़दर खोना चाहता हूँ
कि जैसे बस रोना चाहता हूँ ।
मिलती नहीं मंज़िल तो क्या हुआ !
राही हूँ , बस दीवाना होना चाहता हूँ ।
कोई तो आरज़ू करे मेरे मुखौटे को जीने की ,
कोई ऐसा किरदार होना चाहता हूँ ।
मेरे काम को याद कर ले मेरे आने वाले ,
कोई ऐसा गुमनाम होना चाहता हूँ ।