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ईवा

(Chapter -1)

कितना ख़ूबसूरत नाम है ना !

जितना ख़ूबसूरत है उससे कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत तो मतलब है शायद ।

ईवा ! (Life)

जब भी पूछे मुड़कर देखता हूँ तो कहीं ना कहीं याद आ जाती है । आज सालो बाद लिखना शुरू किया सोचा कि आप सभी भी जान लो उस ईवा को जिसे मैं भी जानता था ।

मेरा नाम अहमद है । दिल्ली की ऐक मिडिल क्लास फ़ैमिली से हूँ , अब्बू की कपड़ों की दुकान है चाँदनी चौक मे । बचपन से कोई कमी नही रही जो मॉगा मिल गया और फिर अपनी भी कोई ज़्यादा ऐम्बीशन थी ही नही लाईफ़ मे ।

मेरे मोहल्ले मे दो मकान छोड़ के शर्मा निवास है । उनका लौण्डा है रौनी , मुझसे ऐक क्लास सीनीयर है लेकिन रोज क्रिकेट खेलने आता है I mean देखने आता है खेलता नही । इसी की क्लास मे पड़ती है ईवा । देखने मे सुन्दर , राजकुमारी की तरह लेकिन सब डरते है उससे ।स्कूल की सबसे शैतान लड़की है ।

और रौनी स्कूल का सबसे अच्छा लड़का । मैं तो कहता हूँ रौनी जैसा लौण्डा होना भी दुनिया मे बहुत बड़ी बात है यार । यही वो शर्मा जी का लोण्डा है जिसके बारे मे आप भी बात करते हो । आगे जा के मालूम पड़ेगा आपको ।

मैं तो ईवा मैम से हमेशा बचकर रहता था उनसे नज़र मिलाना मतलब यमराज से ऐपोण्टमैण्ट ले लेना हो । जब भी स्कूल का कोई भी रिज़ल्ट आता रौनी को ही फ़र्स्ट प्राइज़ मिलता । ईवा को इस बात से कोई प्रोब्लम नही थी लेकिन इस बार के ऐनुवल फ़ंक्शन मे रौनी के पैरेन्टस को सम्मानित किया गया तो घर आकर ईवा के पापा ने ईवा को थोडा सुना दिया ।

“ईवा ! देखो राम ने अपने mom dad को कितना प्राउड फ़ील कराया है और तुम्हारे मार्क्स देखो “

शर्मा जी के लड़के से कुछ सीखो ।

ईवा को ये बात ज़रा अच्छी नही लगी । अगले दिन स्कूल मे बाथरूम के पास मैं , रौनी के साथ जा रहा था । ईवा और उसी चार पॉच फ़्रेण्ड्स आकर हमको धक्का देने लगती है ।

रौनी – I will complain

ईवा – साला ! अंग्रेज़ी मे बोलता है । दो चॉटा मारके लम्बा लिटा दिया । दो फ़्रेण्ड ने पैण्ट पकड़ी और उतार दिया ।

पैण्ट छुड़ा के मेरे पास आयी ऐक खींच के तमाचा मारा , आज भी ऑखो मे बिजली चमकती है । दूसरे की ज़रूरत ही नही पड़ी ! हमने खुद ही पैण्ट उतार के दे दी । ऊपर से धमकी दे गई की अगर किसी को बोला तो अगली बार यंत्र काट दूँगी!

बाप रे ! कहॉ फँस गये यार

ये रौनी साला तुम थोड़े कम नम्बर लाते ना हर समय साला किसी ना किसी के *** लगवाते रहते हो ।

दो घण्टे बाथरूम मे बन्द ।

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ख़ैर ईवा की मेहरबानी हुयी पैण्ट मिल गयी और मैं अपनी क्लास चला गया रौनी अपनी क्लास ।स्कूल मे गेम्स प्रैक्टिस हो रही थी पहली बार हमारी स्कूल इण्टर स्टेट स्कूल गैम्स के लिये जयपुर जाने वाली थी । हमारे स्कूल के मर्यादा पुरूषोत्तम राम यानी रौनी को बैस्ट परफ़ार्मर के नाते एंकरिंग का ज़िम्मा था , साथ मे रौनी ऐथलैटिकस मे हिस्सा ले रहा था ।

अगले दिन ईवा , रौनी से न जाने क्या बात कर रही थी । मुझे तो शक हो गया था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ चल रहा है । ईवा ने उसको जूस पकाडाया और खुद भी ऐक बोतल से पीने लग गई ।

आधे घण्टे बाद , ब्याइज की 400 m रेस होने वाली थी । रौनी भी लाइन मे लगा था । रेस शुरू हुयी कुछ देर दौड़ने के बाद रौनी सीधे हॉस्टल की तरफ़ भागने लगा । सब हैरान थे अचानक क्या हो गया । रौनी हॉस्टल के मैन रूम तक ही पहुँचा था पीछे हमारा कोच और स्टाफ़ भी ।

ये क्या रौनी ने पूरी पैण्ट ख़राब कर रखी है ।

पैण्ट मे ही हग दिया । बेचारा फीनीश लाइन क्रास ही नही कर पाया ।

उस दिन ऐक बात तो समझ आ गयी की हर शर्मा जी के लौण्डे को ईवा जैसी लड़की ज़रूर मिलती है । पूरे स्कूल मे रौनी के टट्टी वाला मीम चला । ऐड बने लेकिन ऐसे लोगों मे मेहनत करने की जो ठरक होती है ना उसका लेवल ही अलग होता है ।

मेरे ऐग्जाम हो गये रिज़ल्ट आया मैं खुद हैरान की 85 % आ गये । जो लौण्डा नक़ल मारके भी कभी इतने मार्क्स नही ला पाता उसके इतने आ गये । लेकिन अब्बू खुश नही थे ठीक हर टिपीकल इण्डियन डैड के जैसे ।

ख़ैर जैसे तैसे पास हो गया …….!

फिर ज़िन्दगी का नया चैपटर शुरू हो गया !

Continue…………………………..!

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By The Lost Monk

Writer || Poet || Explorer || Photographer || Engineer || Corporate Investigator || Motivator

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