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कौन हूँ मैं ?

(A life of a spy )

मैं सुदृढ़ तो राष्ट्र सुदृढ़ होगा ,

मैं कमजोर तो , राष्ट्र बिखरेगा ।

राष्ट्र सुरक्षा की अलग परिभाषा हूं मैं,

कर्तव्यनिष्ठा की जैसे व्याख्या हूं मैं ,

प्रखर ,प्रचण्ड , चाणक्य का नाम हूं,

तेजस्वी सूरज हूं लेकिन गुमनाम हूं ।

मरू की तेज धूप मे भीे तपता हूं मैं,

बर्फीले तूफानो मे भी चलता हूं मैं,

सदैव काक चेष्टा रखता हूं मैं,

स्वरूप अनुरूप बदलता हूं मैं ।

I’m faceless, I’m anonymous
I’m a beggar & I’m a king 👑

मैने तमगो की कभी चाहत नही की ,

मातृभूमि के इतर कोई मोहब्बत नही की ,

निष्काम भाव से बढ़कर कोई ईमान नही मेरा,

राष्ट्र भक्ति से बढ़कर कोई अभिमान नही मेरा ।

गोलियों से तीखी तो मेरी कलम की धार है,

अग्रगामी आसूचना मेरा ऐटमी वार है ,

बिना रक्त के बूंद से , युद्ध जिता सकता हूं मैं,

बिना भनक के अलग देश बना सकता हूं मैं ,

वितरण के बल पे , मैं काम बदलता रहता हूं ,

रम जाये मिट्टी मे , वो नाम बदलता रहता हूं ।

आतंक की वो हलचले , या देशद्रोही साजिशें ,

अवरोध बन प्रबल खड़ा , विफल करू मैं ख्वाहिशें ।

कभी रंक हूं मैं , कभी राजा हूं मैं

कभी संत हूं मैं, कभी ख्वाजा हूं मैं,

संगीत के धुनों का राग हूं मैं

जल जाये पानी मे वो आग हूं मैं,

मिल जाये हमसफर तो पीता हूं मैं,

मिल जाये कोई लम्हा तो जीता हूं मैं,

कोई नाप ना सके वो गहराई हूं मैं,

कोई देख ना सके वो परछाई हूं मैं,

प्रकृति की भाषा और व्याकरण का स्वर हूं मैं

भेष बदला मानो कोई गुप्तचर हूं मैं ।

ना शर्म ना लिहाज है , वो जुनून मेरे पास है

जैसे तिरंगा मेरा हिजाब है, और एक इन्कलाब है

जय हिन्द , जय हिन्द , जय हिन्द ।

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By The Lost Monk

Writer || Poet || Explorer || Photographer || Engineer || Corporate Investigator || Motivator

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