फ़िज़ा
अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से
महकती हुई खुशबुओं की जैसे हवाओं से
जो ये बात कह रही है कहानियाँ
जी लिया हूँ जैसे हर उम्र , इनकी अदाओं से
ताउम्र जो क़ैद हुऐ ज़ंजीरों मे
आज तो उनकी भी जैसे
जश्न ऐ आज़ादी चला आया है
अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से

नशा ये रूह का है , हुस्न की बात कहॉ है
ईश्क के दीदार का है , चॉद की बात कहॉ है
डूब जाऊँ अब कहीं भी , शौक़ मँझधार का है
राख हो जाऊँ या ख़ाक हो जाऊँ
नशा तेरे प्यार का है …….!!
अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से
महकती हुई खुशबुओं की जैसे हवाओं से
जो ये बात कह रही है कहॉनियॉ
जी लिया हूँ जैसे हर उम्र इनकी अदाओं से …।
ताउम्र जो क़ैद हुऐ ज़ंजीरों में
आज तो उनका भी जैसे
जश्न ऐ आज़ादी चला आया है
अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से
महकती हुई ख़ुश्बूओं की जैसे हवाओं से …..।।!!
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3 replies on “फ़िज़ा”
वाह 👌
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😊
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