देखकर ये तमाशा , तू हैरान क्यों है ?
रियासत में सियासत है , तू हैरान क्यों है ?
जुबॉ में ज़हर है , तू हैरान क्यों है ?
दिलों में ज़हर है , तू परेशान क्यों है ?
यहॉ तो हवा में भी ज़हर है , तू हैरान क्यों है ?

आवाज़ इंकलाब की नही , आग उत्पात की है
इतिहास भूल जा , बात बस आज की है
नक़ाबों के पीछे मोहब्बत दरकिनार है
कीचड़ों की दीवार है और हाथ में गुलाब है
सब ज़िन्दाबाद है , तू हैरान क्यों है ?
ज़िन्दगी के इस मिज़ाज से , तू हैरान क्यों है ?
वक़्त के सफ़र में , ठहराव क्यों है ?
बारूद की बिसात में , जिन्दा लाश क्यों है ?
देखकर ये तमाशा , तू हैरान क्यों है ?
रियासत में सियासत है , तू हैरान क्यों है ………!!