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हैरान क्यों है ?

देखकर ये तमाशा , तू हैरान क्यों है ?

रियासत में सियासत है , तू हैरान क्यों है ?

जुबॉ में ज़हर है , तू हैरान क्यों है ?

दिलों में ज़हर है , तू परेशान क्यों है ?

यहॉ तो हवा में भी ज़हर है , तू हैरान क्यों है ?

Be happy 😊🌸💫

आवाज़ इंकलाब की नही , आग उत्पात की है

इतिहास भूल जा , बात बस आज की है

नक़ाबों के पीछे मोहब्बत दरकिनार है

कीचड़ों की दीवार है और हाथ में गुलाब है

सब ज़िन्दाबाद है , तू हैरान क्यों है ?

ज़िन्दगी के इस मिज़ाज से , तू हैरान क्यों है ?

वक़्त के सफ़र में , ठहराव क्यों है ?

बारूद की बिसात में , जिन्दा लाश क्यों है ?

देखकर ये तमाशा , तू हैरान क्यों है ?

रियासत में सियासत है , तू हैरान क्यों है ………!!

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राहें

मत कीजिये खुश रहने की ख़्वाहिशें

थोडा ग़म भी कभी पाकर देखिये

ऐक नयी सूरत मिलेगी , आज़माकर देखिये

लाखो शख़्स है यहॉ

लाखों मोहब्बतें होंगी

यूँ ही होगें लाखों दोस्ती के आशियाने

कभी दुश्मनों को दिल से लगाकर देखिये

ऐक नयी सूरत मिलेगी , आज़माकर देखिये

जब भी मुस्कराया

आईना पाया

फिर ग़म मिले अरसों के लिये

आज तो मासूमियत से आईना कह रहा

हो सके ‘ललित’ जी मुस्कुराकर देखिये

ऐक नयी सूरत मिलेगी , आज़माकर देखिये

मत कीजिये खुश रहने की ख़्वाहिशें

थोड़ा ग़म भी कभी पाकर देखिये

ऐक नयी सूरत मिलेगी , आज़माकर देखिये

मंज़िल भी मिलेगी

रास्ते भी मिलेंगे

हज़ारों खुशबुओं के

क़ाफ़िले भी मिलेंगे

कभी फूलो के संग

Art by Ayna

मुस्कुराकर तो देखिये

ऐक नयी सूरत मिलेगी , आज़माकर तो देखिये ।

Happiness is a choice 💫🌸

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इंक़लाब

कॉमनवेल्थ आया , टू जी आया

हर दिन आते छोटे वाले

त्रिण त्रिण टूटा कोयला देखा

और सबके देखे हाथ काले

तू कितना अभागा रे ‘भारत’

मिल गई आज़ादी मगर इंक़लाब जारी है

हो संसद पर हमला

हो मुम्बई पर हमला

तू हर दिन कायर बनता है

हालत तेरी आज देखकर

वो हर दिन हमला करता है

सैनिक हर दिन लड़ता है

हक़ दिन जान लुटाता है

तू मौन लिये बैठा है

तू हर दिन कायर बनता है

तू कितना अभागा रे भारत

मिल गई आज़ादी मगर इंक़लाब जारी है ।

त्राहि त्राहि , बिलखी जनता

ढूँढे न्याय , ढूँढे हक़ अपना

आज सिहर गया फिर से

देखकर बर्बाद घर मे

टूटी जैसे हर उम्मीद की किरण

हर राह , हर सफ़र मे

गुमनाम हो रहा , आज फिर तू

तू कितना अभागा रे भारत

मिल गई आज़ादी मगर इंक़लाब जारी है

नयी तरंगों सी , नयी उमंगों सी

आज ऐक आवाज़ देखी

ये इंक़लाब की आवाज़ें है

तू कब तक भागेगा ?

इस कुम्भी निन्द्रा से कब जागेगा ?

आज़ादी की तड़पन से

लहूलूहान जीवन से

संजोये क़तरा क़तरा , बूँद बूँद

वो इंक़लाब आया

इंक़लाब

वो इंक़लाब आया

तू कितना अभागा रे भारत

मिल गई आज़ादी मगर इंक़लाब जारी है ।

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Motivation

हैरान हूँ मैं

दोस्ती यारी और ज़िन्दगी के हिसाब मे

समझता नहीं हूँ फ़ायदे का सौदा

घाटों में घुट कर मुस्कराता खड़ा हूँ

आइने में खुद को देखकर हैरान हूँ मैं …….।।

छोटे छोटे क़िस्से , छोटी छोटी कहानियाँ

कब किताबों में ढल गयी पता ही नहीं चला

कितना आगे आ गया हूँ देखता हूँ कभी

तो सुकून के अहसास से हैरान हूँ मैं ……!!

ना शोहरत हासिल की , ना दौलत हासिल की

दो लफ्ज की तलाश में कुछ मोहब्बत हासिल की

बॉटता रहा ज़िन्दगी भर जिस उजाले की ताक़त

उसके खिले फूलों को खिलता देख हैरान हूँ मैं

कठिन वक़्त की डगर मे , जब भी लड़खड़ाया मैं

Dost Jindgi bhar 🌸

फिर से जिन्दा होने की वजह ढूँढ लाया मैं

लाखो ने कुछ कहा होगा , भुलाता गया मैं

जीने के इस अन्दाज़ से हैरान हूँ मैं …….!!!

दोस्ती यारी और ज़िन्दगी के हिसाब मे

समझता नही हूँ फ़ायदे का सौदा

घाटों मे घुट कर मुस्कराता खड़ा हूँ

आइने मे खुद को देख कर हैरान हूँ मैं …!!!

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हिसाब

जज़्बात की , फ़िदा की सबात मॉगता हूँ
ख्वाब के शिहाब का हिसाब मॉगता हूँ………!

वो फाजिल तेरी मोहब्बत का है , मेरे मौला
उसकी वफ़ा के इम्तहान का हिसाब मॉगता हूँ ……!

 

सरवत मोहब्बत , रहमत मॉगता हूँ
साक़ी इश्क़ का दीदार मॉगता हूँ……………!

ज़ख़्म की , सितम की , शिफ़ा मॉगता हूँ
दिलग्गी सुखान के जबाब मॉगता हूँ……….!

 

जज़्बात की , फ़िदा की सबात मॉगता हूँ
ख्वाब के शिहाब का हिसाब मॉगता हूँ…………!

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फ़िज़ा

फ़िज़ा

अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से

महकती हुई खुशबुओं की जैसे हवाओं से

जो ये बात कह रही है कहानियाँ

जी लिया हूँ जैसे हर उम्र , इनकी अदाओं से

ताउम्र जो क़ैद हुऐ ज़ंजीरों मे

आज तो उनकी भी जैसे

जश्न ऐ आज़ादी चला आया है

अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से

फ़िज़ा 🌸💫

नशा ये रूह का है , हुस्न की बात कहॉ है

ईश्क के दीदार का है , चॉद की बात कहॉ है

डूब जाऊँ अब कहीं भी , शौक़ मँझधार का है

राख हो जाऊँ या ख़ाक हो जाऊँ

नशा तेरे प्यार का है …….!!

अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से

महकती हुई खुशबुओं की जैसे हवाओं से

जो ये बात कह रही है कहॉनियॉ

जी लिया हूँ जैसे हर उम्र इनकी अदाओं से …।

ताउम्र जो क़ैद हुऐ ज़ंजीरों में

आज तो उनका भी जैसे

जश्न ऐ आज़ादी चला आया है

अब ना दूर जाऊँ इन रंगीन फ़िज़ाओं से

महकती हुई ख़ुश्बूओं की जैसे हवाओं से …..।।!!

Watch video on YouTube 👇

https://youtu.be/2ijeINrruC0

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अनकही ………Lalit Hinrek

अनकही

जो उकेरती थी ज़ेहन के ख़्वाबों को ,

वो तख्ती वो स्याही कहीं गुम हो गयी ।

जो बुनते थे आवारा परिन्दों के सपने ,

आवारगी 🌸💫

वो मिट्टी , वो बर्तन कहीं खो से गये ।

उन सपने से ख़ुद को हँसाने की चाहत ,

हिसाबों की उलझन में कहीं खो सी गयी ।

जो उकेरती थी ज़ेहन के ख़्वाबों को ,

वो तख्ती वो स्याही कहीं गुम हो गयी ।

कहानियों में देखी वो सच्ची मोहब्बत ,

किताबों के पन्नों से गुम हो गयी ।

वो दोस्ती , वो यारी , वो रिश्तों की रौनक़ ,

दूरियों मजबूरियो से धुमिल हो गयी।

जो उकेरती थी ज़ेहन के ख़्वाबों को ,

वो तख्ती, वो स्याही कहीं गुम हो गयी !

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घाटी के वासी …………Lalit Hinrek

ओ घाटी के वासी ,

यहॉ नदियॉ बहती है , कोयल गाती है

हवाऐं स्वच्छ प्राणवायु लाती है

रंगीन ऑसमा है , रवि की किरणें ऊर्जा देती है

किन्तु ,

यह मानवता कि दुर्बलता है कि वह मजबूर हुआ है ,

समझा ना प्रकृति को उसने व सुख से दूर हुआ है ।

फिर छोड़ दिया नदि नालों को ,

गॉव और तालाबों को

और पहुँच गया फिर शहरों तक ,

खोजता वह भोजन को ।

यहॉ भागदौड़ जीवनशैली को भरपूर जीया उसने ,

पॉचसितारा रौनक मे भी फीकापन महसूस किया उसने ।

मानवता , हमदर्दी को यहॉ सिमटते देखा है ,

मतलब व चालबाजी को यहॉ साथ लिपटते देखा है ।

वाहनों की धूं धूं ने प्राणवायु को विरल किया ,

बिल्डिंग के जालो ने पेड़ो से महरूम किया ।

ना रवि कि किरणे , ना स्वच्छ गगन

कभी विकराल धुंध , कभी धुंऑ धुऑ ।

किन्तु ,

ओ घाटी के वासी ,

Tons valley

यहॉ तो नदियॉ बहती है , कोयल गाती है ,

हवाऐं स्वच्छ प्राणवायु लाती है ,

रंगीन ऑसमा है , रवि की किरऩे ऊर्जा देती है ।

ओ घाटी के वासी ,

यहॉ नदियॉ बहती है ,कोयल गाती है ।

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अभिलाषा

मेरी कहानियों में डूबा हुआ

बस बेसुध सा होना चाहता हूँ ।

छू ले जो दिल के ज़ख़्मों को

कोई वो शायर होना चाहता हूँ ।

ईश्क में इस क़दर खोना चाहता हूँ

कि जैसे बस रोना चाहता हूँ ।

मिलती नहीं मंज़िल तो क्या हुआ !

राही हूँ , बस दीवाना होना चाहता हूँ ।

💫🌸💫

कोई तो आरज़ू करे मेरे भी मुखौटे को जीने की ,

कोई ऐसा किरदार होना चाहता हूँ ।

मेरे काम को याद कर ले मेरे आने वाले ,

कोई ऐसा गुमनाम होना चाहता हूँ ।

मेरी कहानियों में डूबा हुआ

बस बेसुध सा होना चाहता हूँ ।

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आज

ना रूक कही तू चलता जा

ना रूक कही तू चलता जा

जैसे सूरज की रौशनी

जैसे कल कल बहता पानी

भड़के तूफ़ानों को घेरा

जैसे वन मे जलती ज्वाला

ना रूक कही तू चलता जा ।

उड़ते पंछी को देख कहीं

जो जी लेता जी भर के आज

कहता फिरता , तू कर लेना जो करना है

जी लिया जी भर के आज ।

ना रूक कही तू चलता जा

ना रूक कही तू चलता जा

कितना सच बिखरा है आज

जो सामने है अनमोल है

मिट्टी तो मिट्टी मे मिलती है

कर्मों का सुख हो या सुन्दरता का आकर्षण

ना रूक कही तू चलता जा

यहॉ आज ही बस है जीवन ।

ना रूक कही तू चलता जा

ना रूक कही तू चलता जा ।