इक छोटी सी बस्ती मे रहता था पप्पू भाई
रंग बिरंगा छोटा व मोटा था पप्पू भाई
ना पड़ता था , ना लिखता था
बस लड़ना उसका शौक़ था
बस्ती मे हाहाकार मची थी
पप्पू का ख़ौफ़ था ….।।
बीत गया पप्पू का बचपन
अब वो बड़ा हुआ
निकम्मा बेकार , और निहायती
आवारा पड़ा हुआ ।।
दिन भर पप्पू तास खेलता
ना पॉव पे खड़ा हुआ
गुचडूम खाता , क़ब्ज़ी हो गयी
पादता सड़ा हुआ ।।
बड़ा हो गया पप्पू भाई
अब शादी की बारी आयी
पप्पू डर गया अब उसकी
बर्बादी की बारी आयी
शादी हो गयी पप्पू की
घर आ गयी लाड़ों रानी
ज़ीरो फ़िगर की सुन्दर बाला
शीला की थी जवानी
कुछ दिन तो ऐसे ही चल गये
मस्ती मस्ती मे ही टल गये
पर पप्पू धीरे से ग़रीब हो गया
दुख दर्द उसका नसीब हो गया
क़िस्मत से लाचार हो गया
टुकड़ों मे वह चार गया
पर ये क्या चमत्कार हो गया
पप्पू का बेड़ा पार हो गया
पप्पू के सपने मे लक्ष्मी मॉ आयी
ख़ुशियों की बौछार व रंग हजारो लाई
पप्पू भाई मैदान मे चुनाव लड़ने के इरादे से
बस्ती को चमकाऐंगे और विकास के वादे से
पप्पू घर घर जाने लग गया
लोगों को मनाने लग गया
कुछ जन को बहलाने लग गया
कुछ को वो फुसलाने लग गया
सज्जनों को धमकाने लग गया
सज्जन हारे पप्पू जीता
क्योंकि वो था बस्ती का चीता
आज पप्पू ने शपथ ली
अपने हाथो मे ले कर गीता
वादा कर गये पप्पू भाई कि सबका काम करेंगे
बस्ती को चमकायेगे और देश का नाम करेंगे
किसे पता था पप्पू भाई बस आराम करेंगे
निचोड़ देंगे सिस्टम को व काम तमाम करेंगे
फिर घर से पप्पू जी का बंगला हो गया
आम जन इस खेल मे कँगला हो गया
फिर पप्पू की कार आयी
इटैलियन मार्बल दिवार आयी
छोटा पप्पू आया तो ख़ुशियाँ हज़ार आयी
पप्पू के घर मे तो बेमौसम बहार आयी
कितना खुश है पप्पू आज
अपनी छोटी सी लाईफ से
ऐक ओर घोटालों का राजा
और शीला जैसी वाईफ से
पड़ने वाले बचपन के चिरकुट
आज कितने दुखी है
आपस मे वो बातें करते
पप्पू कितना सुखी है ।
पप्पू और भी मोटा हो गया
खाकर ख़ूब जनता का का पैसा
लूट खसोट मची यहॉ पे
इसमें किसी का विरोध कैसा ?
जब तक ऐसी जनता होगी
और ऐसी सरकार होगी
तब तक ना सिस्टम बदलेगा
हर पप्पू की नैय्या पार होगी
उसके अपने बंगले होगे
BMW कार होगी
पड़ने वाले हर चिरकुट की
इज़्ज़त तार तार होगी ……।।