अनिश्चितताऐं (Uncertainty)

A lot of uncertainty in life. I have tried to put my heart on it. I hope you will like this poem

अनिश्चितताऐं (uncertainty)
~Lalit Hinrek

जिस दौर से गुजर रहा है ये ज़माना
ज़िन्दगी ना मालूम तुझे हुआ क्या है ….!!

जहॉ मॉगी थी हज़ारों ख़्वाहिशें
वहॉ बन्द कठघरों का सिलसिला है

कहीं रफ्तार थम सी गई है सन्नाटों मे
कहीं चीखने चिल्लाने की बदहवा है

जिस दौर से गुजर रहा है ये ज़माना
ज़िन्दगी ना मालूम तुझे हुआ क्या है

मेरे यार तुम्हारा जनाज़ा
हॉ तुम्हारा जनाजा ……!!
काफ़ी नही था मरहम लगाने को
तभी हुक्मरान की दुकानों का ऑगन खुला है

और कितनी ख़ामोशी है मंदिरों मे , मस्जिदों मे
लेकिन मैं ख़फ़ा नही तुम्हारे खुदा से , देवताओं से
मेरे पास तो मोहब्बत है और क़लम की दुआ है

जिस दौर से गुजर रहा है ये ज़माना
ज़िन्दगी ना मालूम तुझे हुआ क्या है ….!!!

Painting from whatsapp

ना देवताओं के बांशिदे ,
ना हुक्मरानो के नुमाइंदे
ना धन दौलत , ना शान ओ शौक़त
ना वक़्त महफ़ूज़ करता
सीख सकता ललित अगर
सीखता अनिश्चितताओं को
बुरे दौर से गुजरे अनुभवों को
ज़िन्दगी की कठिन राहों को
हर दौर मे संभलने जाने को

जिस दौर से गुजर रहा है ज़माना
ज़िन्दगी ना मालूम तुझे हुआ क्या है ….!!!

Nobody knows where the hell we gonna land tomorrow. Live today like it’s your last day “